भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अब गीत लिखीं कि रीति लिखीं / चंद्रभूषण पाण्डेय
Kavita Kosh से
Jalaj Mishra (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:07, 6 जून 2020 का अवतरण
अब गीत लिखीं
कि रीति लिखीं
सभकर उगिलल
हम तींत लिखीं
अन्हरिया प
अंजोरिया के
छोटकी दिया
के जीत लिखीं
हम मरम लिखीं
कि करम लिखीं
कि सभके जात
आ धरम लिखीं
तिरछी नैना
जब बने कटार
आपन हिया के
हर भरम लिखीं
हम घात लिखीं
कि भात लिखीं
खाइल गिनल
हर लात लिखीं
होत परात से
घर अंगनात में
मन के उफनात
हर बात लिखीं
हम भुख लिखीं
कि सुख लिखीं
हिया में उठल
सभ हुक लिखीं
कलम के धार
तलवार प वार
कुछुओ लिखीं
दु टुक लिखीं