भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

समाधिलेख -1919 / बैर्तोल्त ब्रेष्त / महेन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:52, 10 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= बैर्तोल्त ब्रेष्त |अनुवादक=महेन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह लाल गुलाब लापता है अब तक
कोई नहीं जानता कहाँ होगी वह देह

जब वह ग़रीबों को बता रही थी सच
अमीरों ने खदेड़ा उसे दुनिया से ।

(Grabschrift नाम की यह कविता सम्भवतः रोज़ा लक्ज़ेम्बुर्ग के लिए लिखी गई थी। 1919 में उनकी हत्या कर दी गई थी।)

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : महेन