भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हँसावत-हँसावत रुलावल गइल बा / सुभाष पाण्डेय

Kavita Kosh से
Jalaj Mishra (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:24, 13 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} {{KKCatBhojpuriRachna}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

करीं ना ठिठोली सतावल गइल बा।
हँसावत-हँसावत रुलावल गइल बा।

विदा के मुहूरत मुकर्रर के पहिले
अचके में डोली पठावल गइल बा।

अम्बर ले ऊँचा पता ना कहाँ ले
गिरावे से पहिले चढ़ावल गइल बा।

सुला के बड़ा चैन से सेज-सपने
बस्ती में काठी धरावल गइल बा।

जुलुमी कहानी लिखाहीं का पहिले
कलम से सियाही सुखावल गइल बा।

खनत सोरि सहिते इँजोरा के आशा
तमस के किसानी करावल गइल बा।

'संगीत' सँवरेला वादी सुरन से
विवादी सुरन के सटावल गइल बा।