भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उडीक / इरशाद अज़ीज़

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:34, 15 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= इरशाद अज़ीज़ |अनुवादक= |संग्रह= मन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बादळां नैं कैवो
बरसणो है तो
बरसो चुपचाप
मरुधर री तिरस
अबार सूती है
थांरी ई उडीक में
खोई है थांरै ई सुपनै में
आया हो तो बरस ई जावो
इणरै सुपनै रै साच हुवणै सारू