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नदी / इरशाद अज़ीज़

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हां अठै ई बैंवती ही
बा नदी
जिकी महाभारत में ही
का रामायण मांय ही
द्रौपदी जैड़ी
सीता जैड़ी
नीं ठाह कित्ता-कित्ता
मांय रा मांय धमीड़ा खावती
उकळती-उफणती
आपरै हुवण रै साच नैं
साम्हीं राखण सारू
सूखगी।