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अनुपस्थिति / मंगलेश डबराल

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यहाँ बचपन में गिरी थी बर्फ़

पहाड़ पेड़ आंगन सीढ़ियों पर

उन पर चलते हुए हम रोज़ एक रास्ता बनाते थे


बाद में जब मैं बड़ा हुआ

देखा बर्फ़ को पिघलते हुए

कुछ देर चमकता रहा पानी

अन्तत: उसे उड़ा दिया धूप ने ।


( रचनाकाल : 1996) </poem>