Last modified on 26 जून 2020, at 17:59

हाइकू - 5 / शोभना 'श्याम'

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:59, 26 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शोभना 'श्याम' |अनुवादक= |संग्रह= }} Cat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

41
पिया बसंत
लगाए उबटन
धरा दुल्हन

मुग्ध नयन
बासंती धरा देखे
निज अयन

42.
पाणिग्रहण
खुशियों पर नारी की
लगे ग्रहण

गठबंधन
कर्त्तव्य का बंधन
नारी के लिए

43.
जले स्वयं
फिर भी तो छँटा न
दुर्भाग्य तम

ढूँढता मन
निराशा के तम में
प्रकाश कण

44
बादल राही
रोक पर्वतराज
करें उगाही

नदी ले जाएँ
पानी मैदान तक
नियम शाही

45
घटता नीर
कैसे दिखाए धरा
कलेजा चीर

बढ़ेगी पीर
टूटेगा एक दिन
धरा का धीर

46
न वातायन
न खिड़की नेह की
अंधा शहर

न किलकारी
न आत्मीय पुकार
गंगा शहर

47
समय धारा
बहना ही नियति
छोड़ किनारा

बह न पाया
तोड़ा वह पत्थर
बनाया गारा