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एक दिन / कौशल किशोर
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एक दिन
किताबें खुली होंगी
हम बैठे होंगे उसके पास
एक दिन
बहुत कुछ घटित हो रहा होगा
हमारे सामने ही
और ज़ुबान सिली होगी
या लटक रहा होगा उस पर
एक बड़ा-सा ताला
इसके पहले कि
वह दिन आ जाए
हम भी कर लें अपने को तैयार!