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दो पल साथ हमारे बैठो / कमलेश द्विवेदी

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आज तुम्हारी ख़ातिर दिल में क्या-क्या हैं जज़्बात कहें।
दो पल साथ हमारे बैठो तुमसे दिल की बात कहें।

खेल-खेल में कभी हँसा है
और कभी दिल रोया है।
प्यार तुम्हारा पाया हमने
चैन हमारा खोया है।
तुम्हीं कहो हम इसको अपनी जीत कहें या मात कहें।
दो पल साथ हमारे बैठो तुमसे दिल की बात कहें।

हमने तुमको पत्र न जाने
कितनी-कितनी बार लिखे।
पर उत्तर में तुमने हमको
ख़त केवल दो-चार लिखे।
तुम चाहे उनको कुछ कह लो हम उनको सौगात कहें।
दो पल साथ हमारे बैठो तुमसे दिल की बात कहें।

जिन राहों में चले अभी तक
माना उन्हें बदलना है।
मगर यहाँ तक साथ चले हैं
तो आगे भी चलना है।
इसे सफ़र का अंत न मानें एक नयी शुरुआत कहें।
दो पल साथ हमारे बैठो तुमसे दिल की बात कहें।