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प्रेम का मुझको अर्थ बताओ / कमलेश द्विवेदी
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उसने मुझसे कहा-प्रेम का मुझको अर्थ बताओ.
मैं बोला-मैं खोज रहा हूँ तुम भी हाथ बँटाओ.
अर्थ प्रेम का इतना व्यापक
हम न कभी गह सकते।
इसको आँखें कह सकती हैं
अधर नहीं कह सकते।
कभी किसी के होकर देखो तो आनन्द उठाओ.
उसने मुझसे कहा-प्रेम का मुझको अर्थ बताओ.
प्रेम ऊर्जा ऐसी है जो
गूँगे को स्वर देती।
बंजर से बंजर धरती को
हरा-भरा कर देती।
कभी किसी के मन की धरती को तुम भी सरसाओ.
उसने मुझसे कहा-प्रेम का मुझको अर्थ बताओ.
प्रेम भावना ऐसी है जो
मन में बसे हमारे।
पर हम उसके लिए भटकते
फिरते मारे-मारे।
मिल जायेगा प्रियतम लेकिन उससे लगन लगाओ.
उसने मुझसे कहा-प्रेम का मुझको अर्थ बताओ.