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त्राहि त्राहि त्रिभवन पति पावन / रैदास
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।। राग धनाश्री।।
त्राहि त्राहि त्रिभवन पति पावन।
अतिसै सूल सकल बलि जांवन।। टेक।।
कांम क्रोध लंपट मन मोर, कैसैं भजन करौं रांम तोर।।१।।
विषम विष्याधि बिहंडनकारी, असरन सरन सरन भौ हारी।।२।।
देव देव दरबार दुवारै, रांम रांम रैदास पुकारै।।३।।