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खांलिक सकिसता मैं तेरा / रैदास

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।। राग विलावल।।
  
खांलिक सकिसता मैं तेरा।
दे दीदार उमेदगार बेकरार जीव मेरा।। टेक।।
अवलि आख्यर इलल आदंम, मौज फरेस्ता बंदा।
जिसकी पनह पीर पैकंबर, मैं गरीब क्या गंदा।।१।।
तू हानिरां हजूर जोग एक, अवर नहीं दूजा।
जिसकै इसक आसिरा नांहीं, क्या निवाज क्या पूजा।।२।।
नाली दोज हनोज बेबखत, कमि खिजमतिगार तुम्हारा।
दरमादा दरि ज्वाब न पावै, कहै रैदास बिचारा।।३।।