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हुई अब रात आ जाओ / कैलाश झा 'किंकर'

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हुई अब रात आ जाओ
मेरे ज़ज़्बात आ जाओ।

सुहाने ख़्वाब सजते हैं
लिए बारात आ जाओ।

हमेशा गुदगुदाती है
तुम्हारी बात आ जाओ।

छुपे दुश्मन किया करते
यहाँ आघात आ जाओ।

तुम्हारी ही प्रतीक्षा में
सभी सौगात आ जाओ।

प्रथम सावन है शादी का
प्रथम बरसात आ जाओ।