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बज़्म में गीत गाते चलो / कैलाश झा 'किंकर'

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बज़्म में गीत गाते चलो
बोल मीठे सुनाते चलो।

ज़िन्दगानी है दो चार दिन
सबसे रिश्ते निभाते चलो।

ज़िन्दगी हार सकती नहीं
हर किसी को बताते चलो।

हर अदावत भुलाकर सदा
राह सुन्दर बनाते चलो।

हाथ भंडार ही लग गया
खूब खाते-खिलाते चलो।

खूब तपती हवा चल रही
शीत-जल से नहाते चलो।