भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बड़ी खूबसूरत कला ज़िन्दगी है / कैलाश झा 'किंकर'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:01, 19 जुलाई 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कैलाश झा 'किंकर' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बड़ी खूबसूरत कला ज़िन्दगी है
न कहना कभी बेवफा ज़िन्दगी है।

मुहब्बत के मौसम में खिलती कली-सी
दिखाती मनोहर अदा ज़िन्दगी है।

बताना है मुश्किल यही कह सकूँगा
समझ से परे फ़लसफ़ा ज़िन्दगी है।

न किरदार में हो कोई खोट हज़रत
फिसलते ही बनती सज़ा ज़िन्दगी है।

मुसलसल नज़र से गिरेगी यकीनन
अगर कोई करती ख़ता ज़िन्दगी है।