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आप में खूबसूरत हुनर है / कैलाश झा 'किंकर'
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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:55, 19 जुलाई 2020 का अवतरण
आप में खूबसूरत हुनर है
फिर भी जीने का कैसा ये डर है।
होगा उनपे यक़ीं हर किसी को
दोस्त मेरा बहुत मोतबर है।
लिखने वाले बहुत लिख चुके हैं
फिर भी लिखने को बाक़ी सफ़र है।
दूरियाँ मिट गईं हैं दिलों की
दिल मेरा प्यार का एक घर है।
फँस गई जाल में फिर से मछली
पर मछेरा अभी बेख़बर है।