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भूले से मोहब्बत कर बैठा / साहिर लुधियानवी
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भूले से मोहब्बत कर बैठा
नादाँ था बेचारा दिल ही तो है
हर दिल से ख़ता हो जाती है
बिगड़ो न खुदारा दिल ही तो है
इस तरह निगाहें मत फेरो
ऐसा न हो धड़कन रुक जाए
सीने में कोई पत्थर तो नहीं
एहसास का मारा दिल ही तो है
हर दिल से ख़ता...
बेदादगरों की ठोकर से
सब ख़्वाब सुहाने चूर हुए
अब दिल का सहारा ग़म ही तो है
अब दिल का सहारा ग़म ही तो है
अब ग़म का सहारा दिल ही तो है
भूले से मोहब्बत...