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रिमझिम बरसे पानी रे / कमलेश द्विवेदी
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रिमझिम बरसे पानी रे-रिमझिम बरसे पानी रे।
भीग रहे हैं अंशू-रिक्की-कृष्णा-राधा रानी रे।
अक्सर आयें ये बादल।
नभ पर छायें ये बादल।
शोर मचायें ये बादल।
जल बरसायें ये बादल।
बरसाती मौसम में इनकी रहती यही कहानी रे।
रिमझिम बरसे पानी रे-रिमझिम बरसे पानी रे।
नाव चलायें पानी में।
खूब नहायें पानी में।
नाचें-गायें पानी में।
धूम मचायें पानी में।
पापा-मम्मी कहते हमसे-करना मत शैतानी रे।
रिमझिम बरसे पानी रे-रिमझिम बरसे पानी रे।
उड़ती ख़ूब पतंग दिखें।
झूलों पर सब संग दिखें।
इन्द्रधनुष के रंग दिखें।
नित नव जोश-उमंग दिखें।
चारों तरफ़ दिखे खुशहाली, बरखा लगे सुहानी रे।
रिमझिम बरसे पानी रे-रिमझिम बरसे पानी रे।