Last modified on 2 अगस्त 2020, at 19:19

मूर्ख भटा / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:19, 2 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ठण्ड पड़ी तो निकल पेड़ से,
भटा ठिठुरकर भागा।
वहीँ पास रहती थी चीटी,
स्वेटर उससे माँगा।
चीटी बोली बहुत मूर्ख हो,
पत्तों में छुप जाओ,
जितने चाहो उतने ओढो,
अपनी ठण्ड बचाओ।