भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जादू की पुड़िया / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:39, 4 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गुड्डा राजा भोपाली हैं,
गुड़िया शुद्ध जबलपुरिया।
गुड्डा को पापा लाए थे,
भोजपाल के मेले से।
गुड़िया आई जबलपुर के,
सदर गंज के ठेले से।
गुड्डा को आती बंगाली,
गुड़िया को भाषा उड़िया।
गुड्डा खाता रसगुल्ले है,
गुड़िया को डोसा भाते।
दही बड़े जब बनते घर में,
दोनों ही मिलकर खाते।
दोनों को ही अच्छी लगती,
मां के हाथों की गुझिया।
गुड्डा को इमली भाती है,
गुड़िया को हैं आम पसंद,
मां के हाथों के खाने में,
दोनों को आता आनंद।
दोनों कहते माँ के हाथों,
में है जादू की पुड़िया।