पत्थर चिनाई करने वाले / आत्मा रंजन
(एक)
बहुत लोग
मानते ही नहीं उसे कारीगर
मजदूर और कारीगर के
लगभग बीच की स्थिति है वह
लगभग इतनी ही हैसीयत
उतनी ही पहचान
मारतोड़ कहलाने वाला
एक सरल-सा हथौड़ा
मात्र उसका औज़ार
या ज़्यादा से ज़्यादा
एक सूत एक साहल एक गुणिया भर
मारतोड़ से कोने कगोरे तोड़ता
पूरी तन्मयता से
पत्थर चिनाई कर रहा है वह
चिड़िया के घोंसला बनाने
मधुमक्खी या तितैया के
छत्ता बनाने जैसी
आदिम कला है यह
सदियों से संचित
बरसों से सधी हुई
पहुँच रही एक-एक पत्थर के पास
ईंट नहीं है यह
सुविधाजनक ढांचों में ढलकर निकली
सीधे समतल सूतवां जिस्म की तराश लिए
पृथ्वी का सबसे सख्त हिस्सा है
आकार की सबसे अनिश्चित बनावट
बिल्कुल अनगढ़ खबड़ीला बेढंगा जिस्म
याद है उसे गुरु के शब्द-
गारा या सीमेंट मसाला
बैसाखियाँ हैं
कला कि मिलावट
असल तो वह है
बिना मसाले कि सूखी चिनाई
कि डिबिया कि तरह
बैठने चाहिए पत्थर
खुद बोलता है पत्थर
कहाँ है उसकी जगह
बस सुननी पड़ती है उसकी आवाज़
खूब समझता है वह
पत्थर की जुबान
पत्थर की भाषा में बतिया रहा है
सुन रहा गुन रहा बुन रहा
एक एक पत्थर
बेतरतीब बिखरे पत्थरों में
दौड़ती पारखी नज़र
टिकती है लगभग उपयुक्त विकल्प पर
हाथ तौलते विकल्पों को
उंगलियाँ पोर-पोर टोहतीं उतार चढ़ाव
'लगभग' को 'बिल्कुल वही' में बदलते
देखते ही देखते
ऐसा बैठ जाता पत्थर
जैसे वहीं के लिए बना था वह
पत्थर की रग-रग से वाकिफ है
किस रंग का कैसा है वह
कमज़ोर है या मज़बूत
कौन आगे लगेगा कौन पीछे
कहाँ कितनी चोट से टूटेगा
किस आकार में कितना कोना
मिट्टी से सने हैं पत्थर
मिट्टी से सने हैं उसके हाथ
और बीड़ी और जर्दे की गंध से सने
और पसीने की गंध से सने
पृथ्वी की आत्मा
और उसकी देह गंध से सने
और पृथ्वी पर फूलते फलते
जीवन की गंध से सने हैं उसके हाथ
जड़ता में सराबोर भरता जीवन की गंध
पत्थर चिनाई कर रहा है वह
पत्थर चुनता है वह
पत्थर बुनता है
पत्थर गोड़ता है / तोड़ता है पत्थर
पत्थर कमाता है पत्थर खाता है
पत्थर की तरह रूलता पड़ता
धूल मिट्टी से नहाता है
पत्थर के हैं उसके हाथ
पत्थर का जिस्म
बस नहीं है तो रूह नहीं है पत्थर की
पत्थरों के बीच रोता है वह
पत्थरों के बीच गुनगुनाता
एक एक पत्थर को सौंपता अपनी रूह
पत्थर पर पत्थर पर पत्थर
धर देने जैसा
सरल नहीं है यह काम
चीज़ों की बनावट
कहाँ होती है सरल उतनी
दिखती है जितनी
जितनी मान लेते उसे हम
बेहद महीन बुनावट है यह
पत्थर के चौफैर वजूद
बेढंगेपन को नापकर
बनानी होती है जगह
धरना उसे जमाना होता है इस तरह
कि टुकड़े-टुकड़े बिखरी कठोरता को जोड़ कर
बुननी होती है मजबूती
बेकार कहलाने वाले
कहीं रास्ते की बाधा तक बनते
पृथ्वी के टूटे अंग को जोड़ता
फिर बनाता उसे पृथ्वी की ज़िंदा देह
बेकार हो चुके के भीतर खोजता रचता
उसके होने के सबसे बड़े अर्थ
बेकार हो चुके के भीतर खोजता रचता
पृथ्वी के प्राण
पत्थर चिनाई कर रहा है वह
पृथ्वी को चिनने की कला है यह
टूटी बिखरी पृथ्वी को
जोड़ने सहेजने की कला
रचने, जोड़ने, जिलाने का
सौंदर्य और सुख।
(दो)
तीखी ढलान की
जानलेवा साज़िशों के ख़िलाफ़
एक मज़बूत निर्माण का नाम है डंगा
ढहने के ख़िलाफ़
डटे रहने का जीवट
दुनिया कि तमाम खाइयों के विपरीत
मजबूती से डटे हुए हैं डंगे
सधी हुई रूहों के साथ
डटे हुए हैं पत्थर जिस्म
पूरी मुस्तैदी के साथ
अपनी देहों पर उठाए हुए
सभ्यता विकास के तमाम रास्ते!