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खेलते हैं बच्चे : एक / आत्मा रंजन
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खेलते हैं बच्चे
तब भी
जब खेलने लायक नहीं होता है मौसम
बाहर की हवा होती है विषाक्त
घर की हवा
गहरी गहरी ठहरी ठहरी
खेलते हैं बच्चे
तब भी
जब दुरुस्त नहीं होता शरीर का तापमान
चुपके से खिसक लेते माँ से बचाकर नज़र
उनकी दिशा में उठा ही रह जाता है
रोकने के लिए मांग का बाम सना हाथ
खेलते हैं बच्चे
तब भी जब वक़्त नहीं होता खेलने का
घर में बिखरा पड़ा या बस्ते में बंद
शेष होता है होमवर्क
उस सब को छोड़कर भी
खेल लेते हैं बच्चे
तब भी, जब सर पर होती है परीक्षाएँ
कुछ अधिक ज़िद के साथ खेलते हैं बच्चे
मौसम, विष, तनाव, चिंता
सब डराते हैं मांओं को
दब्बू से मगर नहीं फटकते पास
जब खेलते हैं बच्चे।