भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आधुनिक घर / आत्मा रंजन
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:52, 12 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आत्मा रंजन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आधुनिक घरों के पास नहीं हैं छज्जे
कि लावारिस कोई फुटपाथी बच्चा
बचा सके अपना भीगता सर
नहीं बची हैं इतनी भर जगह
कि कोई गौरैया जोड़ सके तिनके
सहेज परों की आंच
बसा सके अपना घर-संसार!