भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सौंगि सार / अरविन्द 'प्रकृति प्रेमी'

Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:53, 13 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द 'प्रकृति प्रेमी' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब मेरा गौं मा
सड़क अर बिजली
आयी थै तब मैंन
सोची थौ कि, अब
पलायन रुकि जालु
हमारि सबसि बड़ि
द्वी समस्या निबटि गैन पण,
य त पाड़योंक
पलायन कि सौंगि सार बणिक रैगि।