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यायावरी / हरिमोहन सारस्वत
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मुझे तलाश है
बरछी से तीखे
धारदार घातक शब्दों की.
मोटी चमड़ी वाले
अन्तःस्थलों को जो भेदना है
उतरना है
गरजते बादलों की
घनघोर बारिश बनकर
बंजर होते दिलों में
भीतर गहरे तक
हाइब्रीड खरपतवार को
जड़ सेे उखाड़कर
छिड़कने है वहां
आस्था और विश्वास के बीज
देनी है कविता की खाद
संवेदना का पानी
हेत की फसल उगानी है
एक नई दुनिया बसानी है