भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रतिबद्धता / रमेश ऋतंभर

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:14, 17 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश ऋतंभर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब सारी दुनिया
निन्यानबे के फेर में फंसी पड़ी थी
उस वक्त
मैं प्यार में डूबा हुआ था।
जब सारी दुनिया
धर्म के नशे में धुत थी
उस वक्त
मैं प्यार में डूबा हुआ था।
जब सारी दुनिया
हथियारों के खरीद-फ़रोख़्त में लगी हुई थी
उस वक्त
मैं प्यार में डूबा हुआ था।
यह समय ही ऐसा था
कि मैं प्यार के सिवा कुछ सोच नहीं सकता था
यह मेरी प्रतिबद्धता का सवाल था
क्योंकि मुझे कहीं किसी को कुछ जवाब देना था।