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अपने हिस्से का सच / रमेश ऋतंभर

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दिल्ली में भी कई-कई नरकटियागंज* हैं
सिर्फ़ सेंट्रल दिल्ली ही नहीं है दिल्ली
दिल्ली जहाँ है, वहाँ गंदगी भी है
कूड़ा-करकट भी है
धूल-धुंआ भी है
पानी का हाहाकार भी है
सिर्फ चकाचौंध नहीं है दिल्ली
दिल्ली जहाँ है, वहाँ बीमारी भी है
परेशानी भी है
ठेलमठेल भी है
और भागमभाग भी है
सिर्फ एयरकन्डीशड नहीं है दिल्ली
आखिर किस दिल्ली की आस में
हम भागे चले आये दिल्ली
यह सेंट्रल दिल्ली तो नहीं आयेगा
हमारे हिस्से कभी।
चाहे हमारे जैसे लोग, जहाँ भी रहे
उनके हिस्से तो नरकटियागंज ही आयेगा
यह सेंट्रल दिल्ली नहीं...
तो फिर किसी दिल्ली की आस में
हम भाग चले आये दिल्ली।