कैसा शर्मनाक समय है
जीवित मित्र मिलता है
तो उससे ज़्यादा उसकी स्मृति
उपस्थित रहती है
और उस स्मृति के प्रति
बची-खुची कृतज्ञता
या कभी कोई मिलता है
अपने साथ ख़ुद से लम्बी
अपनी आगामी छाया लिए !
कैसा शर्मनाक समय है
जीवित मित्र मिलता है
तो उससे ज़्यादा उसकी स्मृति
उपस्थित रहती है
और उस स्मृति के प्रति
बची-खुची कृतज्ञता
या कभी कोई मिलता है
अपने साथ ख़ुद से लम्बी
अपनी आगामी छाया लिए !