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पूँछ रही क्यों बिटिया रूठी / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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भूली और भटकती आई।
तितली कमरे में घुस आई।
पहले तो सोफे पर बैठी।
वहीं बैठकर टी. वी. देखी।
फ़िल्मी गाने सुने ध्यान से।
बाहर झटपट किये कान से।
उड़कर पहुँची बेड रूम में।
बिस्तर चादर लगी चूमने।
चित्र तितलियों के चादर पर,
बने हुए थे सुंदर-सुंदर।
एक चित्र में सुंदर तितली,
बैठी थी कुछ रूठी मचली।
तितली उसी चित्र पर बैठी।
पूँछ रही क्यों बिटिया रूठी।