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चंदा-तारे / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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चंदा ना उतरे धरती पर,
तारे भी ना हाथ मिलाते।
क्यों ना अम्मा सप्त ऋषि अब,
हम बच्चों से हैं बतियाते।
अम्मा बोलीं, बिजली की अब,
जगमग से नयना चुंधियाते।
चंदा-तारे सभी वहीं हैं,
पर तुमको धुंधले दिखलाते।
किसी दूर निर्जन जंगल में,
बच्चों के संग क्यों ना जाते।
चंदा-तारे तुम्हें मिलेंगे,
हंसते-गाते या मुस्काते।