भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिल्ली गिरी धड़ाम / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:07, 21 अगस्त 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गूगल में चूहा लिखकर जब,
क्लिक का बटन दबाया।
चूहों का एक झुण्ड उभरकर,
मॉनीटर पर आया।

उन्हें देखकर बिल्लीजी के,
मुंह में पानी आया।
झपटी उन चूहों पर लेकिन,
पकड़ एक न पाया।

वह तो छाया चित्र मात्र थे,
कहाँ पकड़ में आते।
बिल्ली गिरी धड़ाम वहीं पर,
परदे से टकराके।