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एकतीस दिसम्बर / अष्‍टभुजा शुक्‍ल

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एकतीस दिसम्बर है आज

इस महीने का चरम दिन

इस वर्ष को

अब कोई नहीं बचा सकता

आधी रात के बाद

न नोबल पुरस्कार डाक्टर

न अमृत

न ईश्वर


अन्तिम सिद्ध होगी यह रात

इस वर्ष के लिए


हर वर्ष

देती है जन्म

दिसम्बर को

और हर दिसम्बर की इकतीसवीं तारीख़

गला घोंट देती है

अपने वर्ष का ।