तुम्हारा गीत / मेटिन जेन्गिज़ / मणि मोहन
रोशनी की एक नीली छाया
ग्रीष्म के पके हुए नीलेपन की तरह
तुम्हारे शब्दों में काँपता जल समीर का झोंका
ठण्डी हवा की प्रयोगशाला के भीतर जाओ
ताकि झुक सकें तुम्हारी शाखें दिन की तरफ़
ताकि उस पर बैठी चिड़िया स्पर्श कर सके नदी का
उन युद्धों की तरह जो दुख देते हैं
प्रेम हृदय का हथौड़ा है
यहाँ तक कि पराजय भी हिलने को तैयार नहीं
तलवार जानती है
कि उत्तेजना के छूटते तीरों के सामने
उसकी कोई बिसात नहीं
जिसे तुम जीवन कहते हो, क्या वह एक जाना पहचाना तट नहीं है
जो हर चीज़ में अपनी आग प्रतिबिम्बित कर रहा है
मैं जो पढ़ रहा हूँ वह तुम्हारा गीत है
जो प्रतिबिम्बित हो रहा है ऊँची गुस्सैल चट्टानों से
एक लम्बे समय से स्थगित
जो एक बार शुरू होता है
तो सुबह तक आग लगी रहती है पानी में ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मणि मोहन