भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हैवां हैवानियत में ज़ारी ठहरा / रमेश तन्हा

Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:09, 7 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तन्हा |अनुवादक= |संग्रह=तीसर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
हैवां हैवानियत में ज़ारी ठहरा
शैतां भी शैतनत में कारी ठहरा
नूरी हो कर भी कहें बात है क्या
इंसां इंसानियत से आरी ठहरा।