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हैवां हैवानियत में ज़ारी ठहरा / रमेश तन्हा
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हैवां हैवानियत में ज़ारी ठहरा
शैतां भी शैतनत में कारी ठहरा
नूरी हो कर भी कहें बात है क्या
इंसां इंसानियत से आरी ठहरा।