याद आता है गांव बस कि सपना बन कर
गह दर्द का गह प्यार का रिश्ता बन कर
गह ग़म की घड़ी धूप पे छा जाता है
बरगद के घने पेड़ का साया बन कर।
याद आता है गांव बस कि सपना बन कर
गह दर्द का गह प्यार का रिश्ता बन कर
गह ग़म की घड़ी धूप पे छा जाता है
बरगद के घने पेड़ का साया बन कर।