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रोशनी का पेड़ / सुरेश विमल

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निर्जन,
अंधेरी इन घाटियों में
रोशनी के बीज डालो
और प्रतीक्षा करो
पेड़ों के उगने की...

रोशनी के
इन पेड़ों के उगने पर ही
जान पाओगे
कि कहाँ हो तुम
किसी गह्वर में
या कि शिखर पर?

वे शिलालेख
जो शताब्दियों पूर्व
लिखे गये थे
इन घाटियों में
तुम्हारे नाम
केवल रोशनी में
पढ़े जा सकते हैं...
अंधेरे के चौकीदार
भेड़ियों की गुर्राहटों से
नहीं होता आतंकित।

बियाबान में अकेले
प्रतीक्षा
बहुत असुविधाजनक होती है मित्र...
आने वाली पीढ़ियों के हक़ में
बहुत ज़रूरी है लेकिन
इस असुविधा से गुज़रना...

रोशनी के पेड़
युगों तक
जीवित रह सकते हैं
और उगने के बाद
वे अपनी सुरक्षा
आप करते हैं...

इसलिए प्रतीक्षा करो मित्र
केवल प्रतीक्षा
रोशनी के पेड़ों के उगने की...!