भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चिड़िया का गांव / सुरेश विमल

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:40, 14 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश विमल |अनुवादक= |संग्रह=कहाँ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पिछवाड़े का पेड़ नीम का
है नन्ही चिड़िया का गांव।

तिनका तिनका जोड़ बना है
एक घोंसला जो न्यारा सा
अरे यही तो है चिड़िया का
भरा प्यार से घर प्यारा-सा।

मां के आंचल जैसी इस पर
रहती है पत्तों की छांव।

उड़ उड़ कर जाए फिर आए
नन्ही चिड़िया लौट यहीं
अपने घर से दूर कभी मन
लगता भी तो नहीं कहीं।

ममता कि यह बेड़ी बाँधे
चंचल-सी चिड़िया के पांव।

रहते पंछी और बहुत से
चिड़िया वाले इसी गाँव में
होती है मेले की रौनक
चिड़िया वाले इसी गाँव में।

मिट्ठू तोते के बोलों में
घुल जाती कौए की कांव।