Last modified on 19 सितम्बर 2020, at 18:12

एक पंछी ढूँढता है / रोहित रूसिया

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:12, 19 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रोहित रूसिया |अनुवादक= |संग्रह=नद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक पंछी ढूँढता है
फिर बसेरा

कल यहीं था
आशियाना
कह रहा था
जल्दी आना
ढूँढता वह फिर रहा है
अपना बचपन
घर पुराना
तोड़ा जिसने
क्यों न उसका
मन झकोरा

अब न वह
रातें हैं अपनी
अब न वह
बातें हैं अपनी
हम ही थे खुदगर्ज़
हमने
खुद ही लूटी
दुनिया अपनी
क्या कहें
क्यों खो गया
अपना सवेरा

उसने तो जीवन
दिया था
साँसों में भी
दम दिया था
आसमाँ हो
या ज़मी से
दाम न उसने
लिया था
हमने फिर
क्यों चुन लिया
खुद ही अन्धेरा

एक पंछी ढूँढता है
फिर बसेरा