Last modified on 28 सितम्बर 2020, at 14:51

पाहुन / त्रिलोचन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:51, 28 सितम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= त्रिलोचन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बना बना कर चित्र सलौने
यह सूना आकाश सजाया
राग दिखाया
क्षण-क्षण छबि में चित्त चुराया
बदल चले गए वे

आसमान जब नीला-नीला
एक रंग रस श्याम सजीला
धरती पीली हरी रसीली
शिशिर -प्रभात समुज्ज्वल गीला
बदल चले गए वे

दो दिन दुःख का दो दिन सुख का
दुःख सुख दोनों संगी जग में
कभी हास है अभी अश्रु हैं
जीवन नवल तरंगी जग में
बदल चले गए वे
दो दिन पाहुन जैसे रह कर ।