भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नन्हे-मुन्ने चिंटू जी / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 4 अक्टूबर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=प्रक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सब पर अपना रोब जमाते
नन्हे-मुन्ने चिंटू जी।

भैया से अब्बा करते हैं
दीदी से करते हैं कुट्टी,
पापा से कहते हैं मेला
दिखलाओ जी, कल है छुट्टी।

कैसे-कैसे दावँ चलाते
नन्हे-मुन्ने चिंटू जी!

हलवा-पूरी जी भर खाते
या फिर बरफी पिस्ते वाली,
रसगुल्ले जब आते घर में
आ जाती चेहरे पर लाली।

धमा-चौकड़ी खूब मचाते
नन्हे-मुन्ने चिंटू जी!

हरदम बजती पीं-पीं सीटी
सारे दिन ही हल्ला-गुल्ला,
कोई टोके तो कहते हैं
क्या मैं बैठा रहूँ निठल्ला?

बिना बात की बात बनाते,
नन्हे-मुन्ने चिंटू जी!