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झब्बूमल / प्रकाश मनु

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झब्बूमल के झबरे बाल,
झब्बूमल की बाँकी चाल।

अभी यहाँ हैं, अभी वहाँ हैं
देखो तो ये कहाँ-कहाँ हैं,
वहाँ-वहाँ बस इनका हल्ला
झब्बूमल जी जहाँ-जहाँ हैं।
अगड़म-बगड़म, लोहा-लंगड़
इनकी जेबों में यह माल!

यह भी खाते, वह भी खाते
खाते तो बस खाते जाते,
रसगुल्लों का रस कमीज पर
और पैंट पर सॉस गिराते।
जरा नहा लो, सुनकर कहते
अजी, नहाने की हड़ताल!

पहलवान हैं झब्बू ऐसे
कोई न होगा, ये हैं जैसे,
दंगल से छिपकर भागे थे
बड़े गजब हैं इनके किस्से!
मरियल कोई आ जाए तो
हँस-हँसकर देते हैं ताल!

ऐसे ये चलते हैं तनकर
इधर गिरे या उधर सड़क पर,
उठकर फिर चलते हैं चर-मर
सारी धरती हिलती थर-थर।
गिरते हैं, पर चोट न आती
गैंडे जैसी इनकी खाल!