भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुरगे राजा / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:12, 6 अक्टूबर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=चुनम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मुरगे राजा, मुरगे राजा,
बजा नहीं क्यों तेरा बाजा?
बड़ी देर से सोच रहा हूँ
कब बोलेगा तू कुकड़ूँ-कूँ?
पर तू किस चिंता में आज,
बोल जरा, क्यों है नाराज?
मुरगे राजा, मुरगे राजा,
बड़ा सुरीला तेरा बाजा।
जरा हवा में तान उठा जा,
कुकड़ूँ-कूँ का राग सुना जा।