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चाटुकारिता / अरविन्द यादव
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चाटुकारिता
एक ऐसी कला
जो पहुँचा देती है व्यक्ति को
उन्नति के उतुंग शिखर पर
हरि व्यापक सर्वत्र समाना
के समान
मिल जाते हैं चाटुकार भी
हर जगह आजकल
चाटुकारिता दिलाती है
ऊँचे से ऊँचे ओहदे
धकेलकर उनको पीछे
जो होते हैं उस ओहदे के
असली हकदार
चाटुकारिता पहुँचाती है
सत्ता के उस सुख तक
जो नहीं मिलता उनको
जो करते हैं ताउम्र
कठिन संघर्ष
चाटुकारिता दिला देती है
वह प्रसिद्ध, पुरस्कार और सम्मान
जो नहीं मिलता बहुतों को
मरने के बाद भी
चाटुकारिता बना देती है
असंभव को संभव
निसंदेह वर्तमान की
सबसे बड़ी प्रतिभा
बन गई है चाटुकारिता।