Last modified on 17 नवम्बर 2020, at 22:10

हर सुबह लाल चादर / रामगोपाल 'रुद्र'

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:10, 17 नवम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामगोपाल 'रुद्र' |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हर सुबह लाल चादर जो बिछ जाती है,
पथ के दूषण पर पर्दा पड़ जाता है!
मन की अवनी को चित्राम्बर कर दे,
जिस पर तू किरण-चरण धरता आता है!