यह शिला भी बड़ी चिकनी है, हिम-पिच्छिल है
कैसे इस पर अपनेपन को ठहराऊँ?
टक लग जाती है, ध्यान डूब जाता है;
क्या करूँ कि रुचि के पद में अभंग मैं गाऊँ?
यह शिला भी बड़ी चिकनी है, हिम-पिच्छिल है
कैसे इस पर अपनेपन को ठहराऊँ?
टक लग जाती है, ध्यान डूब जाता है;
क्या करूँ कि रुचि के पद में अभंग मैं गाऊँ?