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यह शिला बड़ी चिकनी है / रामगोपाल 'रुद्र'
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यह शिला भी बड़ी चिकनी है, हिम-पिच्छिल है
कैसे इस पर अपनेपन को ठहराऊँ?
टक लग जाती है, ध्यान डूब जाता है;
क्या करूँ कि रुचि के पद में अभंग मैं गाऊँ?