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सिंहासन औ ताज / विजय सिंह नाहटा

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सिंहासन औ' ताज
क्या;
उस समय बहुत
निरीह, दुर्बल औ'
दयनीय-सी
संज्ञा भर रह जायेंगे?
जब न बच रहेगा
अंतिम मस्तक भी
करने उन्हें धारण।