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मुझे निर्बंध हो जाने दो / विजय सिंह नाहटा

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मुझे निर्बंध हो जाने दो
खुला औ' अकेला
शून्य में थिर खड़ा
निहार ही लूंगा
अस्तित्व के आर पार
खिलने दो मुझे प्रेम में
मृत्यु में जन्मने दो।