रात को यह बूढ़ा
रह-रह कर खाँसता है
लोगों को यह खाँसी
इसके सिवा कुछ नहीं बताती
कि बूढ़ा है खाँस रहा है
बूढ़े का चिड़चिड़ापन भी
उसके बुढ़ापे में आसानी से शामिल हो गया है
धोखा जो हुआ
उसे बताने का बूढ़े के पास
कोई रास्ता नहीं
रात को यह बूढ़ा
रह-रह कर खाँसता है
लोगों को यह खाँसी
इसके सिवा कुछ नहीं बताती
कि बूढ़ा है खाँस रहा है
बूढ़े का चिड़चिड़ापन भी
उसके बुढ़ापे में आसानी से शामिल हो गया है
धोखा जो हुआ
उसे बताने का बूढ़े के पास
कोई रास्ता नहीं