भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम तुम्हें मार देंगे / मनमोहन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:38, 6 अक्टूबर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनमोहन |संग्रह=जिल्लत की रोटी / मनमोहन }} भूखा मा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भूखा मार देंगे

या खिला-खिला कर मार देंगे

हम तुम्हें मार देंगे


दूर रखकर

या पास बुलाकर

सामने से या पीछे से

अकेला करके

या किसी कबीले में खड़ा कर के

बटन दबाकर

या किसी क़रार पर दस्तख़त कर के

हम तुम्हें मार देंगे

ज़िन्दा जला कर मार देंगे

फूलों से दबाकर मार देंगे


हम तुम्हें अमर कर देंगे

और इस तरह तुम्हें मार देंगे


हम तुम्हें मार देंगे

और जीवित रखेंगे


एक दिन तुम पड़ोसी के मर जाने से ईर्ष्या करोगे

और अपने बचे रहने पर शर्म करोगे


तुम कहोगे कि मैं जल्द से जल्द मरना चाहता हूँ

और हम कहेंगे कि जल्दी क्या है