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जो सुधि आवत मोहन की / रमादेवी
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जो सुधि आवत मोहन की अरी जान परै ब्रज पै दुख भीज है।
जानै 'रमा' मथुरा ते फिरें कब कान्ह जसोमति काठ तबीज है।
जानी परै सखी आदिहिं ते मन मोहन पै कछु कंस की खोज है।
स्याम नदानो की चंचलता अति सुंदरता ललिता विष बीज है॥